संदेश

कटाक्ष लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या है सोशल मीडिया उपयोग करने के नियम ? जाने , social media ka upyog karne k niyam

चित्र
 सोशल मीडिया के नियम फेसबुक, व्हाट्सएप्प और इंस्टाग्राम इस इंटरनेट के दौर में हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है और इनके उपयोग के कुछ नियम जानना बहुत जरुरी है , तो सोशल मीडिया के उपयोग के कुछ अनकहे नियम इस प्रकार हैं  पहला नियम  देखो भाइयों अगर आपको कोई कन्या उसकी क्यूट DP से बहुत पसंद आ गयी है और आप उस सुंदरी से मित्रता करना चाहते है और इसी उपलक्ष्य में उसे मित्रता याचना (friend request) भेजते हैं और उनके संदेश डिब्बे (inbox) में अपना प्यार भरा संदेश  "Hyy beauty,looking cute in DP"  भेजते हो और वह सुंदर उसे देख कर भी अनदेखा कर दे तो इसका मतलब "साफ़ साफ़" (crystal clear) यह है कि उसे आप की बहुत बहुत बहुत सुंदर DP ज़रा भी पसंद नहीं आयी , विशेष अनुरोध आप सभी भाइयों से बहुत बहुत अनुरोध है की बार बार मैसेज कर के उसके संदेश के डिब्बे में अपने आत्म सम्मान, अंग्रेजी में बोले तो self respect को चादर बनाकर फैलाये नहीं ...... ऐसी स्तिथि में उम्मीद न हारे बल्कि मशहूर शायर "दीवाना मिस्त्री" के शेर का अनुसरण करे     "किसी और खिड़की प...

जानिए कैसे नेता सोशल मीडिया पर आपका उपयोग कर दंगे करा देते हैं ?

चित्र
कैसे नेता करते है नफरत फैलाने के लिए आपका उपयोग ? तो भैया आजकल आपका पूरा व्हाट्सएप्प आपके धर्म से विरोध में नारे लगाते हुई भीड़ के वीडियो से भर गया होगा , उन्हें देख देख के आपका खून भी उबल रहा होगा और अब आप उन लोगो के प्रति नफरत से भर गए होंगे और उस वीडियो के साथ 4 गालियां लिख कर आप अपने सारे ग्रुप में पोस्ट भी करने वाले होंगे और साथ में यह भी लिखने वाले होंगे  की "देखो इन लोगो को अगर हमने हमारे नेताजी को वोट नहीं किया तो यह हमें बर्बाद कर देंगे, हमारा जीना दूभर कर देंगे इसलिए इन्हें इस देश से निकाल फेकना ही होगा" पर यह सब मत कीजियेगा , वह मैसेज आगे बढ़ा कर आप कोई देशभक्ति का काम नहीं कर रहे होंगे बल्कि आप उन नेताओं को दंगे फ़ैलाने के उनके मकसद में मदद कर रहे होंगे । केस स्टडी : "हिंदुओ से आजादी" केस अब आप कह रहे होंगे की बेटा तुम ज्ञान तो बहुत बघार लिए , अब बताओ तुम्हारे पास अपनी बात को प्रूव करने का , साबित करने का सबूत क्या है तो आइए चलिए एक केस स्टडी करते है, हाल फिलहाल हुए JNU पर हमले के केस से जुड़ा.. JNU पर हुए इस हमले के विरोध में JNU के पूर्व छ...

कोटा में शिशुओं की मौते : और कितनी लापरवाह होगी राज्य सरकार

चित्र
कोटा में नवजात बच्चों की बढ़ती मौते और सोती सरकार राजस्थान के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में एक स्थान स्थित है नाम है कोटा,  कोटा आईआईटी जेईई परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए देश का सबसे बड़ा एजुकेशन हब है ,कोटा अक्सर छात्रों की आत्महत्या को लेकर खबरों में रहता है , इस बार कोटा फिर खबरों में हैं, इस बार भी मौतों को लेकर परंतु इस बार जान गवाने वाले 19-20 वर्ष के युवा नहीं और न ही फैक्टरियों से चलते कोचिंग इंस्टिट्यूट गुनहगार है , अबकी बार जिन मौतों को लेकर सवाल है वह है चंद दिनों के , चंद महीनो के नवजात शिशुओं की और गुनहगार का ताज अपने सर पर सजाए है कांग्रेस की राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन ।  मृतक बच्चों की संख्या इक्का दुक्का हो तो समझ भी आता है पर जब यही संख्या एक महीने में एक अस्पताल में ( जे के लोन अस्पताल ) सैकड़ा पार कर जाती है तो सामने आता हैं हमारे प्रशासन का , सरकारो का लापरवाही से भरा घिनोना चेहरा | अब आपके मन में सवाल होगा की जब एक महीने से इतनी मौत हो रही थी तो किसी ने उनसे कोई सवाल क्यों नहीं पूछा इसका जवाब है पूछा गया और बकायदा मुख्यमंत...

कविता : सरकार से सवाल और उसके जवाब

चित्र
मेरे सवालों का जवाब यह नहीं हो सकता !!! रोजगार न होने के मेरे सवाल का जवाब, "2014 के पहले था क्या" नहीं हो सकता, "पाकिस्तान में हैं क्या" नहीं हो सकता , "विदेश में भारत की छवि सुधरी हैं" नहीं हो सकता, "चीन हमसे थर थर काँप रहा हैं" नहीं हो सकता, किसान को उसकी फसल का सही दाम नहीं मिल रहा, मेरे इस सवाल का जवाब, "उनके राज से तो ज्यादा ही हैं" नहीं हो सकता, "तुम देशद्रोही हो" नहीं हो सकता, "हमने फलाना राष्ट्र बनने की तरफ कदम उठाये" नहीं हो सकता, "हम नहीं होंगे तो वो तुम्हें जीने नहीं देंगे" नहीं हो सकता, मेरा सवाल कुछ भी नहीं था , तुम्हारा जवाब कुछ भी नहीं हो सकता । ~सच 🙏🇮🇳पसंद आने पर शेयर जरूर करे 🙏🇮🇳 आपके भी कुछ सवाल है तो बताए जरूर😊

अपने अस्तित्व के लिए झुझता संविधान

चित्र
        आज के समय में संविधान का महत्त्व नमस्कार, आप सभी को संविधान दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाये आज के दिन हमने खुद को यह संविधान दिया था , आजादी के इतने साल बाद भी सवाल यह है कि हमने और हमारे नेताओं ने संविधान को कितना सम्मान दिया ? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह संविधान हम पर थोपा नहीं गया है , संविधान की उद्देशिका में साफ़ साफ़ लिखा है कि हम भारत के लोग खुद को यह संविधान देते है यानी हमने अपनी मर्जी से इस संविधान को चुना है अपने लिए । भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है इसमें हर बात काँच की तरह साफ़ करने की कोशिश की गयी है जैसे किस पद पर कोन व्यक्ति बैठेगा , उसका चुनाव कोन करेगा , उसके कार्य क्या होंगे और उसकी योग्यता क्या होगी पर इतना सब होने के बाद भी संविधान में कुछ जगह छूट जाती है पद पर बैठे आदमी के विवेक के लिए जैसे मसलन आजादी के बाद से राज्यपाल के पद का कई बार अपने फायदे के लिए दुरूपयोग किया गया... संविधान निर्माण समिति ने संविधान के संसोधन के लिए भी जगह रखी ताकि संविधान वक्त की जरूरतों के हिसाब से खुद ...

JNU के छात्रों पर लगते आरोप किस हद तक सही है ??

चित्र
क्या JNU वाले देशद्रोही है ? रुकिए जनाब  जरा ठहरिये  JNU  वाले देश द्रोही है........ JNU में सबके पास iphone है...... JNU में जितने भी लोग पढ़ रहे है वह बूढ़े है..... JNU में हॉस्टल fee सिर्फ 300 रूपये हुई है..... JNU नशेड़ियों का अड्डा हो गया है...... JNU में रोज इतनी हजार बियर बोतल रोज निकलती है.... और भी बहुत कुछ आपको मीडिया और ज्ञान पाने के सबसे भरोसेमंद जरिये व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी से मिल रही होगी । पर अब आते है आंकड़ो पर JNU में रहने वाले छात्रों को रहने खाने की फीस (हॉस्टल + सर्विस चार्ज + मेस फीस) अब 60000 रूपये हो गयी है  और गरीबी रेखा से नीचे वाले छात्रों के लिए 47000 हो गयी है  *इसमें कॉलेज की कोई भी फीस नहीं जोड़ी गयी है अब आते है iphone वाले पॉइंट पर आंकड़े बताते है की JNU में 40 प्रतिशत छात्र ऐसे है जिनके परिवार की मासिक आय 12000 है और 27 प्रतिशत छात्र ऐसे है जिनकी हालात अत्यंत ख़राब है और उनकी मासिक आय 6000 है यानि कुल  67 प्रतिशत छात्र ऐसे जो वहाँ पढ़ने के लिए छात्रवर्ती पर निर्भर है अब बाकि के 33 प्रतिशत छात...

एम्बुलेंस की मोहताज हो गयी आइंस्टीन को चुनौती देने वाले गणितज्ञ की देह ।

चित्र
एम्बुलेंस की मोहताज हो गयी आइंस्टीन को चुनौती देने वाले गणितज्ञ की देह       Pic source : the quint भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ और आइंस्टीन के सिद्धान्तों को चुनौती देकर प्रसिद्ध हुए डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह जी का देहांत पटना के पीएमसीएच हुआ , वह 77 साल के थे और करीब 40 साल से सिजोफ्रेनिया बीमारी से पीड़ित थे । उनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने भी ट्वीट करके उनके निधन पर शोक जताया है  राष्ट्रपति जी का ट्वीट प्रधानमंत्री जी का ट्वीट अब आप इस चित्र को देखिये  इस चित्र में जिस व्यक्ति की देह स्ट्रेचर पर लेटी है डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह जी की है और बगल में जो सज्जन खड़े है वह इनके परिजन है और उनका कहना है कि अस्पताल की तरफ से उन्हें कोई एम्बुलेंस मुहैया नहीं करायी गयी और वह 2 घंटे खुले में वशिष्ठ जी की देह को लेकर एम्बुलेंस आने का इंतजार करते रहे और अंत में स्वयं की व्यवस्था करके शव को घर ले गए । अब...

प्रदूषण सब ने फैलाया ,तो जिम्मेदार अकेला किसान क्यों ?

चित्र
                 कटघरे में किसान अकेला क्यों ?? मीडिया , सरकार, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली की आम जनता पड़ोसी राज्यो के किसानों पर पराली जलाने को लेकर कटघरे में खड़ा कर दिया है और दूसरे कारणों का कही से कही तक कोई जिक्र ही नहीं हो रहा है । तो क्या सच में इस प्रदुषण को लेकर किसान इतना जिम्मेदार है ? क्या सच में दिल्ली में फैले प्रदूषण को लेकर वहाँ की आम जनता , सरकार और पावर प्लांट बेकसूर है ? सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 35 प्रतिशत दिल्ली का प्रदूषण किसानों के द्वारा जलायी गयी पराली से होता है , अगर इस आंकड़े को एक पल के लिए सही भी मान ले तो बाकि के 65 प्रतिशत का क्या ? अगर सरकार यह बता सकती है कि किसानों ने कितना प्रदूषण फैलाया तो उसे बाकि के 65 प्रतिशत के गुनाहगारों के बारे में भी पता ही होगा , पराली जलाने वाले किसानों पर तो सरकार जुर्माना लगा रही है पर लाखों AC और करोड़ो वाहनों का सुख भोगने वाली दिल्ली की आम जनता का क्या.... ? आंकड़ो के मुताबिक दिल्ली में करीब 1 करोड़ के अधिक वाहन है और पिछले साल सिर्फ और ...

क्यों आपकी और हमारी वजह से डूब रही पंचायते, जानें ?

चित्र
ग्राम पंचायतें : भारतीय राजनितिक तंत्र का डूबता जहाज गाँधी जी ने आजादी के वक्त ग्राम पंचायतों को भारत के तंत्र की नींव बनाने की वकालत की थी परंतु तब उनके सुझावों पर अमल नहीं किया गया पर जब आगे जाकर जब पंचायत का महत्त्व समझ आया तो इसे 1992 में संविधान में जोड़ लिया गया... आज का सवाल यही है कि क्या ग्राम पंचायतें अपने उद्देश्य में सफल हो पायी ??? और अगर आप भारत के गाँवों में जरा सा झाँक के देखोगे तो गांव आपको खुद चीखते हुए जवाब "ना" में देंगे .... आज ग्राम पंचायतें गबन करते पैसे हजम करने का अड्डा बन चुकी है..... नई सोच के साथ आगे बढ़ना तो दूर की बात इतने वर्षों में यह गांवों में पानी और सड़क जैसी मुलभुत सुविधाएं भी पूरी तरह से नहीं पहुँचा पायी..... आइये पहले ग्राम पंचायत के बारे में जानते है उसके बाद इस बारे में और बात करेंगे READ MORE :  क्या सच में इस प्रदुषण को लेकर किसान इतना जिम्मेदार है ? राज्य सरकारों के बावजूद ग्राम पंचायतों की जरुरत क्यों जैसा की आप सब जानते है कि भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और लोकतांत्रिक देश होने के कारण यहाँ की सारी शक...