प्रदूषण सब ने फैलाया ,तो जिम्मेदार अकेला किसान क्यों ?

                 कटघरे में किसान अकेला क्यों ??


मीडिया , सरकार, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली की आम जनता पड़ोसी राज्यो के किसानों पर पराली जलाने को लेकर कटघरे में खड़ा कर दिया है और दूसरे कारणों का कही से कही तक कोई जिक्र ही नहीं हो रहा है ।
तो क्या सच में इस प्रदुषण को लेकर किसान इतना जिम्मेदार है ?
क्या सच में दिल्ली में फैले प्रदूषण को लेकर वहाँ की आम जनता , सरकार और पावर प्लांट बेकसूर है ?

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 35 प्रतिशत दिल्ली का प्रदूषण किसानों के द्वारा जलायी गयी पराली से होता है ,
अगर इस आंकड़े को एक पल के लिए सही भी मान ले तो बाकि के 65 प्रतिशत का क्या ?
अगर सरकार यह बता सकती है कि किसानों ने कितना प्रदूषण फैलाया तो उसे बाकि के 65 प्रतिशत के गुनाहगारों के बारे में भी पता ही होगा ,

पराली जलाने वाले किसानों पर तो सरकार जुर्माना लगा रही है पर लाखों AC और करोड़ो वाहनों का सुख भोगने वाली दिल्ली की आम जनता का क्या.... ?
आंकड़ो के मुताबिक दिल्ली में करीब 1 करोड़ के अधिक वाहन है और पिछले साल सिर्फ और सिर्फ दिवाली के दिन ही दिल्ली ने 50 लाख किलो के फटाखे फूंके दिए
पर क्यों इन लोगो पर न्यूज़ चैनल की खिड़कियों से झाँकते बोने पत्रकार सवाल नहीं उठाते ?

यह सही बात है कि किसान पराली जला कर गलत कर रहे है उनके पास दूसरे विकल्प उपलब्ध है ,
परन्तु समस्या यह की अगर वह हार्वेस्टर (1200 रु पार्टी एकड़) की बजाये मजदूरों (4200 प्रति एकड़) से कटाई कराये तो उनके लिए यह घाटे का सौदा हो जाये और कंबाइन हार्वेस्टर जो जड़ से काटती है की कीमत (12-14लाख) किसानों की पहुँच से बाहर है |
जब जिम्मेदार सब है तो बलि का बकरा किसानों को क्यों बनाया जा रहा है ????
आज देश के हर कोने में बैठे किसान के मन में यही प्रशन चिन्ह है !!!

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सीधा लेखक के दिल से :
इस प्रश्न चिन्ह का जवाब और कटु सत्य तो यह है कि देश का किसान वह तबका है , जो हर मार झेल लेता है और झट से भूल जाता है और जब वोट करने की बारी आती है तो पार्टीभक्ति , जात पात , धर्म और भटकाने वाले मुद्दों पर वोट करता है इसलिए उसे दोषी साबित कर दिया गया
जबकि दिल्ली का रहवासी अपने मुद्दों पर वोट करता है तो उसकी नाराजगी न झेलने के लिए उसे क्लीन चिट दे गयी ,
अब वह कल फिर निकलेगा 1.5 टन के ac वाले कमरे से डीजल इंजन की कार में धुँए के बादल बनाते अपने कारनामे की ओर और किसान जुर्माना भरने के लिए ब्याज पर उधार लेने।

नोट: स्वस्थ बहस के लिए आप कमेंट बॉक्स में आमंत्रित है


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