कोटा में शिशुओं की मौते : और कितनी लापरवाह होगी राज्य सरकार

कोटा में नवजात बच्चों की बढ़ती मौते और सोती सरकार


राजस्थान के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में एक स्थान स्थित है नाम है कोटा,  कोटा आईआईटी जेईई परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए देश का सबसे बड़ा एजुकेशन हब है ,कोटा अक्सर छात्रों की आत्महत्या को लेकर खबरों में रहता है , इस बार कोटा फिर खबरों में हैं, इस बार भी मौतों को लेकर परंतु इस बार जान गवाने वाले 19-20 वर्ष के युवा नहीं और न ही फैक्टरियों से चलते कोचिंग इंस्टिट्यूट गुनहगार है , अबकी बार जिन मौतों को लेकर सवाल है वह है चंद दिनों के , चंद महीनो के नवजात शिशुओं की और गुनहगार का ताज अपने सर पर सजाए है कांग्रेस की राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन ।


 मृतक बच्चों की संख्या इक्का दुक्का हो तो समझ भी आता है पर जब यही संख्या एक महीने में एक अस्पताल में (जे के लोन अस्पताल) सैकड़ा पार कर जाती है तो सामने आता हैं हमारे प्रशासन का , सरकारो का लापरवाही से भरा घिनोना चेहरा |
अब आपके मन में सवाल होगा की जब एक महीने से इतनी मौत हो रही थी तो किसी ने उनसे कोई सवाल क्यों नहीं पूछा इसका जवाब है पूछा गया और बकायदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पूछा गया , जब आंकड़ा 77 पर हुआ तोह मुख्यमंत्री जी बोले की "बच्चे हर साल मरते है ,इस साल तो कम मरे है , एक बार तो 1500 मौते ही हुई थी, इस बार तो 900 ही हुई है , पर 900 क्यों हुई है , वह भी नहीं होनी चाहिए थी , 3-4-5 मौते हर हॉस्पिटल में होती है प्रतिदिन ,कोई नयी बात नहीं है ,जयपुर में भी होती है , मैने पूरी तरह वहाँ जांच करवाई है और एक्शन भी लिया जाएगा"


और अस्पताल प्रशासन ने खुद को ही बरी करते हुए एक कमिटी बनाई थी जिसने बताया कि अस्पताल के सारे संसाधन और मशीनें सही काम कर रही है,
अब इत्ता सब हो रहा था तो मामला न्यूज़ में आया , हल्ला गुल्ला हुआ तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन जी में अशोक गहलोत जी को एक पत्र लिखा जिसमे कहां गया कि वह बच्चो की जान बचाने के लिए हर तरह की मदद देने का आश्वासन दिया |


हर्षवर्धन जी ने पॉइंट आउट किया कि इत्ती भारी ठंड से निजात देने के उपकरण रेडियंट हीटर है तो सही पर 70 प्रतिशत खराब हैं , जहाँ 4 बेड पर 1 नर्स होना चाहिए वही जे के लोन अस्पताल में यह संख्या 13 पर 1 हैं , 533 उपकरणों में से 320 बंद है , नवजात शिशु सुरक्षा यूनिट में ऑक्सीजन पाइपलाइन नहीं है (जी हाँ वही गलती जो UP में हुई थी) और जहां हर मरीज के लिए एक बेड होना अनिवार्य है इस अस्पताल में 1.8 मरीजो पर एक बेड की सुविधा (दुविधा) हैं |

pic credits : ANI


यह तो हो गयी अब तक की खबर अब आते है उस बात पर जिससे आपका बेखबर रहना ही अच्छा है पर हम बता देते है इतना सब होने के बाद जब आखिरकार राजस्थान के स्वस्थ मंत्री अस्पताल के दौरे पर पहुंचे तो वहाँ उनके लिए कालीन बिछाई गयी...जी हाँ हरी मखमली कालीन क्योंकि मंत्री जी के पैरो को आँच न आ जाए अस्पताल प्रशासन इतनी ही कद्र उन नवजातों की करता तो बात ही अलग होती ।

मैं जब यह लिख रहा हूँ तब तक मौतों का आँकड़ा 107 हो चूका है उम्मीद है आप पढ़ रहे होंगे तब भी इतना ही हो ।

अब कष्ट बहुत हुआ तो हम लेखक है , लिख दिया
आप पाठक है , आप पढ़िए 
लगे की यह खबर दुसरो को भी पढ़नी चाहिए तो शेयर कीजिए
और हाँ उन बच्चों की आत्मा की शांति के लिए दुआ कीजिये और जब चुनाव आए तो धर्म और जात भूल कर ऐसी घटिया सरकारों की दवा कीजिये🙏
जय हिंद🇮🇳

आपका
~सच

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आखिर क्यों है रविवार हमसे नाराज ?

कहानी : कागज की नाव और बचपन