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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या है सोशल मीडिया उपयोग करने के नियम ? जाने , social media ka upyog karne k niyam

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 सोशल मीडिया के नियम फेसबुक, व्हाट्सएप्प और इंस्टाग्राम इस इंटरनेट के दौर में हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है और इनके उपयोग के कुछ नियम जानना बहुत जरुरी है , तो सोशल मीडिया के उपयोग के कुछ अनकहे नियम इस प्रकार हैं  पहला नियम  देखो भाइयों अगर आपको कोई कन्या उसकी क्यूट DP से बहुत पसंद आ गयी है और आप उस सुंदरी से मित्रता करना चाहते है और इसी उपलक्ष्य में उसे मित्रता याचना (friend request) भेजते हैं और उनके संदेश डिब्बे (inbox) में अपना प्यार भरा संदेश  "Hyy beauty,looking cute in DP"  भेजते हो और वह सुंदर उसे देख कर भी अनदेखा कर दे तो इसका मतलब "साफ़ साफ़" (crystal clear) यह है कि उसे आप की बहुत बहुत बहुत सुंदर DP ज़रा भी पसंद नहीं आयी , विशेष अनुरोध आप सभी भाइयों से बहुत बहुत अनुरोध है की बार बार मैसेज कर के उसके संदेश के डिब्बे में अपने आत्म सम्मान, अंग्रेजी में बोले तो self respect को चादर बनाकर फैलाये नहीं ...... ऐसी स्तिथि में उम्मीद न हारे बल्कि मशहूर शायर "दीवाना मिस्त्री" के शेर का अनुसरण करे     "किसी और खिड़की प

जानिए कैसे नेता सोशल मीडिया पर आपका उपयोग कर दंगे करा देते हैं ?

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कैसे नेता करते है नफरत फैलाने के लिए आपका उपयोग ? तो भैया आजकल आपका पूरा व्हाट्सएप्प आपके धर्म से विरोध में नारे लगाते हुई भीड़ के वीडियो से भर गया होगा , उन्हें देख देख के आपका खून भी उबल रहा होगा और अब आप उन लोगो के प्रति नफरत से भर गए होंगे और उस वीडियो के साथ 4 गालियां लिख कर आप अपने सारे ग्रुप में पोस्ट भी करने वाले होंगे और साथ में यह भी लिखने वाले होंगे  की "देखो इन लोगो को अगर हमने हमारे नेताजी को वोट नहीं किया तो यह हमें बर्बाद कर देंगे, हमारा जीना दूभर कर देंगे इसलिए इन्हें इस देश से निकाल फेकना ही होगा" पर यह सब मत कीजियेगा , वह मैसेज आगे बढ़ा कर आप कोई देशभक्ति का काम नहीं कर रहे होंगे बल्कि आप उन नेताओं को दंगे फ़ैलाने के उनके मकसद में मदद कर रहे होंगे । केस स्टडी : "हिंदुओ से आजादी" केस अब आप कह रहे होंगे की बेटा तुम ज्ञान तो बहुत बघार लिए , अब बताओ तुम्हारे पास अपनी बात को प्रूव करने का , साबित करने का सबूत क्या है तो आइए चलिए एक केस स्टडी करते है, हाल फिलहाल हुए JNU पर हमले के केस से जुड़ा.. JNU पर हुए इस हमले के विरोध में JNU के पूर्व छ

कोटा में शिशुओं की मौते : और कितनी लापरवाह होगी राज्य सरकार

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कोटा में नवजात बच्चों की बढ़ती मौते और सोती सरकार राजस्थान के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में एक स्थान स्थित है नाम है कोटा,  कोटा आईआईटी जेईई परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए देश का सबसे बड़ा एजुकेशन हब है ,कोटा अक्सर छात्रों की आत्महत्या को लेकर खबरों में रहता है , इस बार कोटा फिर खबरों में हैं, इस बार भी मौतों को लेकर परंतु इस बार जान गवाने वाले 19-20 वर्ष के युवा नहीं और न ही फैक्टरियों से चलते कोचिंग इंस्टिट्यूट गुनहगार है , अबकी बार जिन मौतों को लेकर सवाल है वह है चंद दिनों के , चंद महीनो के नवजात शिशुओं की और गुनहगार का ताज अपने सर पर सजाए है कांग्रेस की राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन ।  मृतक बच्चों की संख्या इक्का दुक्का हो तो समझ भी आता है पर जब यही संख्या एक महीने में एक अस्पताल में ( जे के लोन अस्पताल ) सैकड़ा पार कर जाती है तो सामने आता हैं हमारे प्रशासन का , सरकारो का लापरवाही से भरा घिनोना चेहरा | अब आपके मन में सवाल होगा की जब एक महीने से इतनी मौत हो रही थी तो किसी ने उनसे कोई सवाल क्यों नहीं पूछा इसका जवाब है पूछा गया और बकायदा मुख्यमंत्री अशोक

फैज़ की विवादित ग़ज़ल हम देखेंगे का विश्लेषण और उसका का हिंदी अनुवाद

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फैज़ की विवादित ग़ज़ल हम देखेंगे का विश्लेषण और उसका का हिंदी अनुवाद हम देखेंगे, यह ग़ज़ल पर wikipedia के अनुसार यह ग़ज़ल फैज़ अहमद फैज़ ने पाकिस्तान के तानाशाह ज़िया उल् हक के विरोध में लिखी थी जो उस वक्त काफी विवादों में रही । फैज़ अहमद फैज़ यह ग़ज़ल अगली बार फिर चर्चा में जब आयी जब फैज़ के इंतकाल के बाद इकबाल बानो जो उस समय की जानी मानी ग़ज़ल गायिका थी ने तानाशाह के हुक्म के खिलाफ जाकर काली साड़ी पहन कर फैज़ की इस ग़ज़ल हम देखेंगे को गाया और अपना विरोध दर्ज कराया (तानाशाह ने साड़ी और काले रंग दोनों पर पाबंदी लगा रखी थी क्योंकि उसके अनुसार साड़ी इस्लामिक वस्त्र नहीं हैं और काला रंग विरोध का प्रतीक माना जाता है) इक़बाल बानो भारत में विवादों में क्यों आयी हम देखेंगे ?? हाल ही में हो रहे सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में छात्रों ने हम देखेंगे को कई बार गाया तो कुछ लोगो ने इसके हिन्दू विरोधी माना और इसका विरोध किया , इसकी एक पंक्ति " नाम रहेगा अल्लाह का सब बुत उठवाए जायेंगे" विवाद का मुख्य कारण बनी.. फैज़ अहमद फैज़  की  हम देखेंगे

कविता : सरकार से सवाल और उसके जवाब

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मेरे सवालों का जवाब यह नहीं हो सकता !!! रोजगार न होने के मेरे सवाल का जवाब, "2014 के पहले था क्या" नहीं हो सकता, "पाकिस्तान में हैं क्या" नहीं हो सकता , "विदेश में भारत की छवि सुधरी हैं" नहीं हो सकता, "चीन हमसे थर थर काँप रहा हैं" नहीं हो सकता, किसान को उसकी फसल का सही दाम नहीं मिल रहा, मेरे इस सवाल का जवाब, "उनके राज से तो ज्यादा ही हैं" नहीं हो सकता, "तुम देशद्रोही हो" नहीं हो सकता, "हमने फलाना राष्ट्र बनने की तरफ कदम उठाये" नहीं हो सकता, "हम नहीं होंगे तो वो तुम्हें जीने नहीं देंगे" नहीं हो सकता, मेरा सवाल कुछ भी नहीं था , तुम्हारा जवाब कुछ भी नहीं हो सकता । ~सच 🙏🇮🇳पसंद आने पर शेयर जरूर करे 🙏🇮🇳 आपके भी कुछ सवाल है तो बताए जरूर😊