फैज़ की विवादित ग़ज़ल हम देखेंगे का विश्लेषण और उसका का हिंदी अनुवाद
फैज़ की विवादित ग़ज़ल हम देखेंगे का विश्लेषण और उसका का हिंदी अनुवाद
हम देखेंगे, यह ग़ज़ल पर wikipedia के अनुसार यह ग़ज़ल फैज़ अहमद फैज़ ने पाकिस्तान के तानाशाह ज़िया उल् हक के विरोध में लिखी थी जो उस वक्त काफी विवादों में रही ।
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फैज़ अहमद फैज़ |
यह ग़ज़ल अगली बार फिर चर्चा में जब आयी जब फैज़ के इंतकाल के बाद इकबाल बानो जो उस समय की जानी मानी ग़ज़ल गायिका थी ने तानाशाह के हुक्म के खिलाफ जाकर काली साड़ी पहन कर फैज़ की इस ग़ज़ल हम देखेंगे को गाया और अपना विरोध दर्ज कराया (तानाशाह ने साड़ी और काले रंग दोनों पर पाबंदी लगा रखी थी क्योंकि उसके अनुसार साड़ी इस्लामिक वस्त्र नहीं हैं और काला रंग विरोध का प्रतीक माना जाता है)
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इक़बाल बानो |
हाल ही में हो रहे सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में छात्रों ने हम देखेंगे को कई बार गाया तो कुछ लोगो ने इसके हिन्दू विरोधी माना और इसका विरोध किया , इसकी एक पंक्ति " नाम रहेगा अल्लाह का सब बुत उठवाए जायेंगे" विवाद का मुख्य कारण बनी..
फैज़ अहमद फैज़ की हम देखेंगे
हम देखेंगे
लाज़िम हैं कि हम भी देखेंगे
वो दिन कि जिसका वादा हैं
जो लोह-ए-अज़ल में लिखा हैं
जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गरां
रुई की तरह उड़ जाएंगे
हम महकूमों के पाँव तले
ये धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जब अर्ज-ए-ख़ुदा के काबे से
सब बुतउठवाए जाएँगे
हम अहल-ए-सफ़ा, मरदूद-ए-हरम
मसनद पे बिठाए जाएंगे
सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख़्त गिराए जाएंगे
बस नाम रहेगा अल्लाह का
जो ग़ायब भी है हाज़िर भी
जो मंज़रभी है नाज़िरभी
उट्ठेगा अन-अल-हक़ का नारा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
और राज़ करेगी खुल्क-ए-ख़ुदा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
इसका हिंदी अनुवाद (शाब्दिक अनुवाद न होकर यह भावनात्मक अनुवाद हैं) जो एक सज्जन ने youtube कमेंट में post किया था तो हमने सोचा आपके काम आ जाये तो पढ़िए
हम देखेंगे
निश्चित है कि हम भी देखेंगे
वो दिन कि जिसका वचन मिला हैं
जो वेदों में लिख रखा हैं
जब अत्याचार का हिमालय भी
रुई की तरह उड़ जाएगा
हम प्रजाजनों के कदमों तले
जब पृथ्वी धड़ धड़ धड़केगी
और शासक के सिर के ऊपर
जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी
जब स्वर्गलोक सी पृथ्वी से
सब असुर संहारे जाएंगे
हम दिल के सच्चे और वंचित
गद्दी पर बिठाए जाएंगे
सब मुकुट उछाले जाएंगे
सिंहासन तोड़े जाएंगे
बस नाम रहेगा ईश्वर का
जो सगुण भी है और निर्गुण भी
जो कर्ता भी है साक्षी भी
उठेगा "शिवोऽहम्" का नारा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
यह है आज का हमारा विश्लेषण जिसमे हमने आपके सामने सारे साक्ष्य उपलब्ध कराये है अब यह आप के ऊपर है कि आप इसे हिन्दू विरोधी माने या न माने..
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जय हिंद🇮🇳
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