CAB क्या है ? और क्यों हो रहा इसका इतना विरोध ?

CAB यानी नागरिकता संशोधन विधेयक क्या है?

CAB को 1955 में बने नागरिकता कानून में संशोधन (बदलाव) करने के लिए लाया गया, जिसे सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में पास करवा लिया है

क्या संशोधन किया जा रहा है?

यह बिल भारत के तीन पडोसी मुस्लिम देशों के गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का रास्ता आसान बनाता है। पहले भारत की नागरिकता पाने के लिए आवेदक को बीते 12 महीने भारत में ही रहना आवश्यक था और बीते 14 साल में से 11 साल भारत में रहना भी आवश्यक था पर अब इस बिल के आ जाने के बाद गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत में 6 साल ही रहने पर भी नागरिकता मिल जाएंगी बशर्ते वह निम्नलिखित देशों और धर्मो से ताल्लुक रखता हो:


देश: पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंगलादेश
धर्म: हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई

सरकार के अनुसार ज़रूरत क्यों...?

सरकार का कहना है कि मुस्लिम बहुल देशो में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है तो वहाँ से भारत आये शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना वाजिब है और इससे उन्हें राहत मिलेगी और वह कानूनन यहाँ के नागरिक बन जाएंगे

विरोध क्यों?

इस बिल के विरोध के दो कारण है
पहला इससे शरणार्थियों को भारत की नागरिकता आसानी से मिलेगी जिससे असम के लोग नाराज है और प्रदर्शन कर रहे है
दूसरा इससे कुछ लोगो (मुस्लमान और तीन देशो के अलावा दूसरे देशो के हिंदुओ) को भारत की नागरिकता मिलने में कोई छूट न देने पर

असम में विरोध क्यों?

क्योंकि असम में बाहरियों से वहाँ की विलुप्त होती जनजातीय संपदा को खतरा बताया गया और इसको लेकर आंदोलन हुआ जिसके बाद सरकार 1985 में असम एकॉर्ड नाम का एक नियम लायी की 25 मार्च 1971 के बाद असम में वाले शरणार्थियों को सीधे तौर पर भारत की नागरिकता नहीं दी जायेगी और उन्हें बाहरी घोषित कर दिया जाएगा परंतु अब सरकार के इस नए नियम के बाद यह तारीख 2014 की हो गयी यानी 2014 तक आये शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल पाएगी इससे असम के स्थानीय लोग खफा है।

जनजातियों को बचाना क्यों ज़रूरी ?

असम में ऐसी कई जनजातियाँ है जो विलुप्त होने की कगार पर है,
इन जनजातियों की खुद की भाषा, संस्कृति और लिपि है जो अपने आप में बहुत महत्त्व रखती है बाहरियों के बढ़ने से इनके विलुप्त होने का खतरा है।

बाकि जगह विरोध क्यों ...?

विरोध करने वालो का तर्क है कि पाकिस्तान में शिया, अहमदिया बांग्लादेश में रोहंगिया और म्यामांर में हिंदुओं और श्रीलंका में तमिलों को भी प्रताड़ित किया जाता है फिर उन्हें इस बिल में जगह क्यों नहीं दी गयी?
विरोध कर रहे छात्रों का यह भी कहना हैं कि संविधान के आर्टिकल 14 में साफ़-साफ़ लिखा है कि भारत की टेरिटरी के अंदर सरकार किसी की इंसान को न्याय में समानता देने से इंकार नहीं कर सकती आसान शब्दो में कहे तो कोई भी कानून धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता जोकि मुसलमानों के सूची में शामिल न होगा,
यह तर्क है इस कानून के विरोधियो के.


गृहमंत्री अमित शाह के बिल के समर्थन में तर्क  



अमित शाह के कुछ तर्क बहुत सही लगते है तो कुछ बिलकुल नहीं,
अमित शाह ने भरोसा दिलाया कि भारतीय मुसलमान को डरने की ज़रूरत नहीं है उसे कोई खतरा नहीं है जो की सच है
पर मुस्लिमो को बिल से बाहर रखने पर अमित शाह ने कहाँ के यह देश तो मुस्लिम बहुल देश है यहाँ मुस्लिम प्रताड़ित नहीं हो सकते (विपक्ष: भारत हिन्दू बहुल देश होने के बावजूद यहाँ दलित प्रताड़ित होते है तो वहाँ के अल्पसंख्यक यानी शिया, रोहंगिया और अहमदिया क्यों नहीं होंगे

अमित शाह ने कहा कि वह NRC भी लगाएंगे देश भर में जिस से जो लोग भारत में गैर कानूनी रह रहे है उन्हें देश के बाहर किया जाएगा (विपक्ष: पर CAB के आ जाने से गैरकानूनी मुसलमानों को छोड़ कर बाकि सब को तो नागरिकता मिल जाएगी और बाहर सिर्फ़ मुस्लिम ही होंगे

तो यह थी एक छोटी-सी कोशिश CAB को आसान भाषा में समझाने की,
इस लेख में सिर्फ़ फैक्ट-फैक्ट और लोगो के बयान ही डाले गए है इसमें मेरा कोई भी व्यक्तिगत नजरिया नहीं है,

आपसे अनुरोध है कि इस ब्लॉग को शेयर करके लोगो को इसे समझाए , बाकि फेक न्यूज़ से दूर रहे 🙏🚩

   जय हिंद

 आपका 

 "सच"

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