मशहूर लेखकों द्वारा लिखी गयी कुछ शानदार SAD HINDI POEM



SAD HINDI POEM for youths by great poets


आज कल के facebook और whatsapp के जमाने में लोग अपनी feelings को status और caption के जरिये व्यतीत करते है , इसलिए आज कल के युवा लोग भारत के पुराने Great कवियों की रचनाओं को अपनी भावनाओं को दिखाने का जरिया बनाते है ,
हमने आपके के लिए कुछ ऐसी कविताएं (SAD POEM) संग्रह की है

1
ओ गगन के जगमगाते दीप! - हरिवंश राय बच्चन जी

दीन जीवन के दुलारे

खो गये जो स्वप्न सारे,

ला सकोगे क्या उन्हें फिर खोज हृदय समीप?

ओ गगन के जगमगाते दीप!
यदि न मेरे स्वप्न पाते,

क्यों नहीं तुम खोज लाते

वह घड़ी चिर शान्ति दे जो पहुँच प्राण समीप?

ओ गगन के जगमगाते दीप!
यदि न वह भी मिल रही है,

है कठिन पाना-सही है,

नींद को ही क्यों न लाते खींच पलक समीप?

ओ गगन के जगमगाते दीप

2.
मैंने गाकर दुख अपनाए! - हरिवंश राय बच्चन

कभी न मेरे मन को भाया,

जब दुख मेरे ऊपर आया,

मेरा दुख अपने ऊपर ले कोई मुझे बचाए!

मैंने गाकर दुख अपनाए!
कभी न मेरे मन को भाया,

जब-जब मुझको गया रुलाया,

कोई मेरी अश्रु धार में अपने अश्रु मिलाए!

मैंने गाकर दुख अपनाए!
पर न दबा यह इच्छा पाता,

मृत्यु-सेज पर कोई आता,

कहता सिर पर हाथ फिराता-

’ज्ञात मुझे है, दुख जीवन में तुमने बहुत उठाये!

मैंने गाकर दुख अपनाए!

3
राजेश रेड्डी जी ग़ज़ल

शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं
जानता हूँ रेत पर वो चिलचिलाती धूप है

जाने किस उम्मीद में फिर भी उधर जाता हूँ मैं
सारी दुनिया से अकेले जूझ लेता हूँ कभी

और कभी अपने ही साये से भी डर जाता हूँ मैं
ज़िन्दगी जब मुझसे मज़बूती की रखती है उमीद

फ़ैसले की उस घड़ी में क्यूँ बिखर जाता हूँ मैं
आपके रस्ते हैं आसाँ आपकी मंजिल क़रीब

ये डगर कुछ और ही है जिस डगर जाता हूँ मैं

4.

    वसीम बरेलवी साहब की ग़ज़ल

बुरे ज़माने कभी पूछ कर नहीं आते

तुम्हारी राह में मिटटी के घर नहीं आते
इसीलिए तुम्हे हम नज़र नहीं आते

मोहब्बतो के दिनों की यही खराबी है
ये रूठ जाएँ तो लौट कर नहीं आते

जिन्हें सलीका है तहजीब-ए-गम समझाने का
उन्ही के रोने में आंसू नज़र नहीं आते

खुशी की आँख में आंसू की भी जगह रखना
बुरे ज़माने कभी पूछ कर नहीं आते

धन्यवाद🙏

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